देश के डोर उत्पाद में गुजरात का हिस्सा ५० प्रतिशत से भी ज्यादा है और यह हिस्सा और भी बढ़ सकता है, तब कच्चे माल की कमी महसूस होने की संभावना है, जिससे निपटने के लिए लकड़ी के ऑप्शन में HD, HDHMR, MDF का उपयोग बढ़ सकता है।
सदीओं और दशकों पहले के “दरवाजे” की बात आती है तो मजबूरी और सलामती (सिक्युरिटी) को प्रधानता अवश्य मिलती थी। अविष्कार और उपर्युक्त साधन-टैक्नोलॉजी के इस्तेमाल के साथ, परिवर्तनशील रचना, हर समय में, सृष्टि के क्रांतिकारी घटना का हिस्सा बनी रही है। घर-मकान, महल या ऑफिस के “डोर” की भी यही कहानी है। सलामती और प्राइवसी के साधनों में डोर की भूमिका अहम है। घूमते समय के पहिये के साथ डोर में भी सलामती के साथ कला-कुशलता और डेकोर का संगम देखने को मिलता है।

आधुनिक युग में “घर” की सलामती के साधनो का कॉन्सेप्ट भी बदल गया है, अविष्कार, टैक्नोलॉजी तथा जरूरतों के हिसाब से “डोर” की रचना में बदलाव आया है। अब तो पासवर्ड से खुलते और बंद होते दरवाजे उपयोग में लिए जाते है। इंटीरियर तथा एक्सटीरियर उपयोग के लिए लकड़ी (टिम्बर), ग्लास, स्टील, पीवीसी, फाइबर ग्लास, एल्युमिनियम, फ्लशडोर, अलग अलग प्रकार के डोर बाजार में उपलब्ध है। ऐसी ही एक, दरवाजे बनाने वाली राजकोट स्थित कंपनी पानडोर एन्ड कं. भारत के ही नहीं बल्कि कई विदेशो के डोर बाजार में अपना सिक्का जमा चुकी है।
पानडोर एन्ड कं. वुडन डोर, मेम्ब्रन डोर, मोल्डेड डोर, लैमिनेट डोर, विनियर डोर, जैसे कई प्रकार के डोर २०१५ से बनाती है। कंपनी का संचालन दो भाई लालजीभाई परमार तथा देवरामभाई करते है, जिनका इस लाइन में २० साल से भी ज्यादा अनुभव रहा है। २००० की साल से गाँव गाँव फ्लश डोर, पीवीसी डोर, तथा माइका डोर की ट्रेडींग करते करते दोनों भाई ने २००८ से मेम्ब्रन डोर, मोल्डेड डोर विनियर तथा लैमिनेटेड डोर का ट्रेडिंग का काम शुरू किया। दोनों भाईओ का ट्रेडिंग का कामकाज अच्छा चलने लगा तो उन्होंने अपनी खुद की डोर मेन्युफेक्चरिंग यूनिट डालने का विचार किया। उस टाइम डोर का बाजार तो अच्छा था ही और राजकोट में डोर बनाने वाली कंपनियां भी ५-६ थी। जनवरी-२०१५ में उन्होंने अपनी डोर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू कर दी और “पानडोर’ ब्राण्ड से विविध प्रकार के डोर बाजार में रखे। क्वॉलिटी, उचित कीमत और समयसर डिलीवरी की वजह से “पानडोर” ब्राण्ड ने गुजरात समेत देश के कई राज्यों में अच्छा मार्केट प्राप्त किया। बांग्लादेश, नेपाल, साउदी अरब तथा अफ्रिकन देशो में भी कंपनी के डोर निर्यात होने लगे।
डोर्स की नवीनतम डिज़ाइन्स खोजने की प्रक्रिया तथा दोनों भाई के अथाक परिश्रम से आज कंपनी के पास पांच हजार से भी अधिक डोर डिज़ाइन्स की उपलब्धता के साथ उपभोक्ता की जरूरत के मुताबिक डोर बनाने की सुविधा प्राप्त है। कंपनी हाल में अपना प्लायवुड और फ्लशडोर्स का नया यूनिट शुरू कर रही है जो की खुद की जरूरतों को पूरा करने के साथ बाजार में अपना माल बेचेगी। कोविड-१९ की महामारी और लोकडाउन की परिस्थिति में भी कम्पनी के पास पर्याप्त आर्डर थे, जो की उनके प्रोडक्ट्स के प्रति उपभोक्ताओं की विश्वनियता सिद्ध करती है।
देवरामभाई ने इस पत्रिका को बताया की २०१८ से २०२० के बीच डोर मार्केट ठंडा रहा था लेकिन अब अच्छा सुधार हो रहा है। सरल एरिया में डोर्स की डिमांड में अच्छा उछाल आया है। पुरे देश में हाउसिंग सैक्टर में सुधार हो रहा है। पिछले दस साल में देश में डोर मेन्युफेक्चरिंग यूनिटें काफी संख्या में बढ़ी है लेकिन सबको अच्छा काम मिल रहा है। कच्चे माल की उपलब्धता में कमी के साथ कीमतों में उछाल और बढ़ते उत्पाद खर्च की वजह से उद्योग के प्रॉफिट मार्जिन पर दबाव बढ़ा है, जिससे उभरने के लिए डोर्स की किंमते बढ़ाने के सिवा उत्पादकों के पास कोई उपाय नहीं है।
देश के डोर उत्पाद में गुजरात का हिस्सा ५० प्रतिशत से भी ज्यादा है और यह हिस्सा और भी बढ़ सकता है, तब कच्चे माल की कमी महसूस होने की संभावना है, जिससे निपटने के लिए लकड़ी के ऑप्शन में HD, HDHMR, MDF का उपयोग बढ़ सकता है। अच्छे भविष्य के लिए डोर इण्डस्ट्री भी टैक्नोलॉजी तथा संशोधनात्मक प्रक्रिया का सहारा लेकर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” के स्वप्न को साकार करने में योगदा दे रही है।
